श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय रचना  “आज के संदर्भ में – तीन मुक्तक…” ।)

☆ तन्मय साहित्य  #218 ☆

☆ आज के संदर्भ में – तीन मुक्तक… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

☆ 1 – कहाँ देश से प्रेम…. ☆ 

मजहब, धर्म-पंथ,

अगड़े,पिछड़े में बँटे हुए हम लोग

भिन्न-भिन्न जातियाँ,

एक दूजे से कटे हुए हम लोग

वोटों की विषभरी

राजनीति ने सब को अलग किया

कहाँ देश से प्रेम,

कुर्सियों से अब सटे हुए हम लोग।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

2 – सौ चूहे खा कर… ☆ 

सौ चूहे खा कर बिल्ली ने,

यूँ ही बैठ विचार किया

पूण्य कृत्य यह तो, उन शुद्र

प्राणियों का उद्धार किया

बिल से बाहर उछलकूद,

उत्पात किया जिसने जब भी

निर्ममता से हमने तब

ऐसों का ही आहार किया।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

3 – अहम की बेलें…. ☆ 

बात दो-दो क्या हुई

फिर दिन-ब-दिन बढ़ती गई

अहम की बेलें,

घने से वृक्ष पर चढ़ती गईं

बंद से संवाद,

मन है खिन्न अवसादों भरा,

हरितिमा निज की

निरन्तर पीत सी पड़ती गई।….

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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