आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है सॉनेट – सैनिक।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 175 ☆
☆ सॉनेट – सैनिक ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆
☆
सीमा मुझ प्रहरी को टेरे।
*
फल की चिंता करूँ न किंचित।
करूँ रक्त से धरती सिंचित।।
*
शौर्य-पराक्रम साथी मेरे।।
अरिदल जब-जब मुझको घेरे।
*
माटी में मैं उन्हें मिलाता।
दूध छठी का याद कराता।।
महाकाल के लगते फेरे।।
*
सैखों तारापुर हमीद हूँ।
होली क्रिसमस पर्व ईद हूँ।
वतन रहे, होता शहीद हूँ।।
*
जान हथेली पर ले चलता।
अरि-मर्दन के लिए मचलता।
काली-खप्पर खूब से भरता।।
☆
© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
१७-२-२०२२
संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,
चलभाष: ९४२५१८३२४४ ईमेल: [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈