श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है “दो मुक्तक -चाह शहद की है तो…” ।)
☆ तन्मय साहित्य #219 ☆
☆ दो मुक्तक -चाह शहद की है तो… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
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चाह शहद की है तो,
मधुमक्खियाँ पालना होगा
मधुर रहे संबंध
व्यर्थ संवाद टालना होगा
शीत घाम बरसात
निभाना होगा हर मौसम को,
है गुलाब की चाह
कंटकों को संभालना होगा।
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चाह शहद की है तो,
मधुमक्खीयाँ जरूरी है
बिना कष्ट अनुभूति
सुखों की चाह अधूरी है
बीच कंटकों के
गुलाब आभा बिखराता है,
पाना है निष्कर्ष
बात चीत बहुत जरुरी है।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈