श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “सास-ससुर, माता-पिता…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 122 – सास-ससुर, माता-पिता… ☆
बहू अगर बेटी बने, सब रहते खुशहाल ।
दीवारें खिचतीं नहीं, हिलमिल गुजरें साल ।।
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सास अगर माता बने, बढ़ जाता है मान ।
जीवन भर सुख शांति से, घर की बढ़ती शान ।।
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सास बहू के प्रेम में, छिपा अनोखा का राज ।
रिद्धि सिद्धि समृद्धि का, रहता सिर पर ताज ।।
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खुले दिलों से सब मिलें, ना कोई खट्टास ।
वातायन जब खुला हो, सुख शान्ति का वास।।
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रिश्तों का यह मेल ही, खुशियों की बरसात ।
दूर हटें संकट सभी, सुख की बिछे बिसात।।
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सास-ससुर, माता-पिता, दोनों एक समान ।
कोई भी अन्तर नहीं, कहते वेद पुरान ।।8
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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