श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक अप्रतिम बाल गीत “पुस्तक मेला…” ।)
☆ तन्मय साहित्य #227 ☆
☆ बाल गीत – पुस्तक मेला… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
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पुस्तक मेला लगा शहर में
संग चलेंगे दादाजी
बात हमारी मान के उनने
किया हुआ है वादा जी।
किया आज ही जाना तय है
राघव, हर्षल साथ में
दादाजी ने सूची बनाकर
रख ली अपने हाथ में,
जी भर आज किताबें लेंगे
हम ज्यादा से ज्यादा जी।
पुस्तक मेला लगा शहर में
संग चलेंगे दादाजी।।
सदाचरण, आदर्श ज्ञान की
कुछ विज्ञान की नई किताबें
कुछ कॉमिक्स कहानी कविता
जो मन में सद्भाव जगा दे,
सोच समझकर चयन करेंगे
अब न रहे, हम नादां जी।
पुस्तक मेला लगा शहर में
संग चलेंगे दादाजी।।
दादा जी ने भी खुश होकर
अपना बटुआ खोला है
हमने भी अपने गुल्लक को
तह तक आज तक टटोला है,
पढ़ लिख, उच्च विचार रखें
पर, जीवन तो हो सादा जी।
पुस्तक मेला लगा शहर में
संग चलेंगे दादाजी।।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈