डॉ कुंदन सिंह परिहार
(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय डॉ कुन्दन सिंह परिहार जी का साहित्य विशेषकर व्यंग्य एवं लघुकथाएं ई-अभिव्यक्ति के माध्यम से काफी पढ़ी एवं सराही जाती रही हैं। हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहते हैं। डॉ कुंदन सिंह परिहार जी की रचनाओं के पात्र हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं। उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक अप्रतिम व्यंग्य – ‘नैतिकता का तक़ाज़ा‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार # 242 ☆
☆ व्यंग्य – नैतिकता का तक़ाज़ा ☆
पार्टी दफ्तर में गहमागहमी है। पार्टी के द्वारा चुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा होनी है। पिछली बार के उम्मीदवार नाहर सिंह को लेकर असमंजस है क्योंकि, अदालत के निर्णय के अनुसार, उनकी शूरवीरता के कारण उनके दो विरोधी स्वर्गलोक को प्रस्थान कर गये थे। परिणाम स्वरूप उन्हें दो साल कारागार में काटने पड़े,यद्यपि उनकी पार्टी और उनके भक्त उन्हें पूरी तरह दूध का धुला मानते हैं। फिलहाल वे ज़मानत पर हैं। नाहर सिंह अपने इलाके के बाहुबली के रूप में विख्यात रहे हैं और इलाके में उनकी छवि रॉबिन हुड की रही है।
अब नाहर सिंह का टिकट खटाई में है, लेकिन किसी अज्ञात कारण से वे मायूस नहीं हैं। पूछने वालों से हाथ जोड़कर कहते हैं, ‘हम पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं। पार्टी का निर्णय हमारे सिर माथे। हम तो जनता के सेवक हैं, टिकट नहीं मिलेगा तब भी सेवा में लगे रहेंगे।’
पार्टी के प्रवक्ता कई बार कह चुके हैं कि उन्हें पार्टी की छवि की फिकर है। उम्मीदवार एकदम उज्ज्वल छवि वाला होना चाहिए,एकदम बेदाग। गड़बड़ छवि वाला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अब दफ्तर में नये उम्मीदवार की घोषणा की तैयारी है। कार्यकर्ताओं और मीडिया के द्वारा तरह-तरह के अनुमान लगाये जा रहे हैं। सस्पेंस चरम पर है। सब तरफ खुसुर-फुसुर है। पार्टी के नेता और प्रवक्ता रहस्य धारण किये हैं।
आखिरकार घोषणा होने का क्षण आ गया। नेता और प्रवक्ता स्टेज पर आ गये। कार्यकर्ताओं की टकटकी लगी है, कान खड़े हैं। प्रवक्ता कहते हैं, ‘भाइयो, आपको पता है कि हमारे पिछले उम्मीदवार नाहर सिंह को एक झूठे केस में फँसा कर उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है। हमारी पार्टी नैतिकता के ऊँचे सिद्धान्त पर चलती है, हम नैतिकता के मामले में कोई समझौता नहीं करते, चाहे कितना नुकसान हो जाए। हमें भरोसा है कि भाई नाहर सिंह इस केस से बाइज्ज़त बरी होंगे। लेकिन अभी हम विरोधियों को आलोचना का मौका नहीं देना चाहते। इसलिए हम नाहर सिंह जी के स्थान पर पार्टी के नये उम्मीदवार की घोषणा करते हैं।’
फिर उन्होंने हाथ के इशारे से पीछे खड़े एक युवक को आगे बुलाया। युवक बिलकुल नाहर सिंह का युवा संस्करण लगता था। आगे आकर हाथ जोड़े खड़ा हो गया। प्रवक्ता जी उसके कंधे पर हाथ रख कर बोले, ‘ये भाई नाहर सिंह के सुपुत्र केहर सिंह हैं। अब यही पार्टी के उम्मीदवार होंगे। इनकी छवि एकदम उज्ज्वल है। दो चार मारपीट की घटनाओं में इनका नाम आया था, लेकिन वह सब ऊपर ऊपर निपट गया। रिकॉर्ड एकदम साफ-सुथरा है।’
केहर सिंह पब्लिक की तरफ हाथ जोड़कर माइक पर बोले, ‘हम पार्टी के बहुत आभारी हैं कि वह हमें जनता की सेवा का मौका दे रही है। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम आपकी सेवा उतनी ही लगन से करेंगे जैसे हमारे पिताजी करते रहे। हम उन्हीं के बताये रास्ते पर चलेंगे। आप हमें अपना आसिरबाद दें ताकि हम कभी आपकी सेवा से पीछे न हटें।’
सामने खड़ी जनता ने ‘नाहर भैया जिन्दाबाद’, ‘केहर भैया जिन्दाबाद’ के गगनभेदी नारे लगाये। स्टेज पर पीछे खड़े भैया नाहर सिंह ने प्रसन्न मुख से हाथ उठाकर जनता को धन्यवाद दिया।
© डॉ कुंदन सिंह परिहार
जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈