श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “उम्मीद”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 178 ☆

☆ # “उम्मीद” #

हमारा जगतू

हाथ ठेले पर

लेटे लेटे

सपने देख रहा है

अभावों की जंजीरों को

एक एक कर

उतारकर फेंक रहा है

उसकी आंखों में

उम्मीद भरे सपने है

क्या पूरे होंगे

जो देखे उसने हैं ?

वो देख रहा है –

ये भीड़ जुटाकर

होती हुई रैलियां

तिलस्मी वादों मे

उलझी हुई पहेलियां

नये नये लुभावने नारे

आकाश से जमीन पर

उतारेंगे तारे

मीडिया में खूब हलचल है

खबर दिखाता पल पल है

हर पक्ष विकास की

उन्नति की, नौकरी की

ग्यारंटी दे रहा है

थोड़ा सा अनाज देकर

खरीद ले रहा है

आरोप-प्रत्यारोप

मर्यादा खो रहे है

सदभाव की जगह

जहर बो रहे है

इसे काटेगा कौन ?

हम या आप ?

फिर क्यों चुप चाप

सो रहे है  ?

सजी हुई है मंडियाँ

चरम पर कारोबार है

हर चीज बिक रही है

बड़े बड़े खरीददार है

 

हर पांच साल में

उसके बस्ती में

आता यह मौका है

वादें बस वादें

रह जाते हैं

मिलता हरदम धोका है

 

यह सब देखकर

जगतू पेशोपेश में है

वह कहाँ होश में हैं

वो असमंजस में है

क्या वाकई उसके बुरे दिन

जाने वाले है ?

इस बार

उसकी गरीब बस्तियों में

वादों में,

ग्यारंटिओं में

लिपटे हुए

क्या

अच्छे दिन आने वाले है ?

*

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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