आचार्य भगवत दुबे

(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर आचार्य भगवत दुबे जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया है।सीमित शब्दों में आपकी उपलब्धियों का उल्लेख अकल्पनीय है। आचार्य भगवत दुबे जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 ☆ हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆. आप निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। हमारे विशेष अनुरोध पर आपने अपना साहित्य हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करना सहर्ष स्वीकार किया है। अब आप आचार्य जी की रचनाएँ प्रत्येक मंगलवार को आत्मसात कर सकेंगे।  आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना – याचनाओं का भरण होने लगा।)

✍  साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ कादम्बरी # 54 – याचनाओं का भरण होने लगा… ☆ आचार्य भगवत दुबे ✍

प्यार का, उनके हृदय में अंकुरण होने लगा

आजकल उनका, द्रवित अंतःकरण होने लगा

*

रूठने का भी बहाना अब नहीं वे ढूंढ़ते

हर जटिल प्रश्नों का भी सरलीकरण होने लगा

*

अब हमारी भावनाओं का अनादर भी नहीं 

एक दूजे की सदिच्छा का वरण होने लगा

*

ना-नुकुर उनके दिखावे के लिये हैं मात्र अब 

हर निवेदक याचनाओं का भरण होने लगा

*

उनके कोमल हाथ का, जब स्पर्श मुझसे हो गया 

देह में, रोमांचक तब से स्फुरण होने लगा

*

कसमसाकर उनने बाँहों में मुझे जब से भरा

धमनियों में, तेज रक्तिम संचरण होने लगा

*

नींद भी आती नहीं, उनके बिना तो आजकल 

रात को भी, याद के सँग, जागरण होने लगा

 

https://www.bhagwatdubey.com

© आचार्य भगवत दुबे

82, पी एन्ड टी कॉलोनी, जसूजा सिटी, पोस्ट गढ़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments