(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक ज्ञानवर्धक आलेख – व्यंग्य का अंदाज ए बयां । 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 284 ☆

? आलेख – व्यंग्य का अंदाज ए बयां ?

व्यंग्य व्यंजनात्मक भाषा का प्रयोग करता है. व्यंग्य में प्रत्यक्षत: जो कहा गया है, वही उसका सीधा अर्थ नहीं होता. वह कुछ अन्य बात व्यंजित कर लक्ष्य भेदन करता है. समझदार के लिये इशारा पर्याप्त होता है. प्रायः कूटनीति में कानून के दायरे में रहते हुये भी इसी प्रकार प्रहार किये जाते हैं. विदेश मंत्रालय की विज्ञप्तियां इसी प्रकार से रची जाती हैं। व्यंग्य के अंदाज ए बयां में भी प्रत्यक्षतः तो मान मर्यादा की दृष्टि से एक परदा बनाये रखा जाता है किन्तु संदर्भो के आधार पर, मिथको का सहारा लेकर, व्यंजना में बहुत कुछ कह दिया जाता है.

कविता न्यूनतम शब्दों में अधिकतम बात कह डालती है जिसमें पाठक के सम्मुख एक कल्पना लोक रचा जाता है. कहानी शब्द चित्र गढ़ती है. निबंध या ललित लेख अमिधा में अपना कथ्य कहते हैं. संस्मरण जिये हुये दृश्यों को रोचक शब्दों में पुनर्प्रस्तुत करते हैं. किन्तु व्यंग्य सामर्थ्य सर्वथा भिन्न होता है. व्यंग्य बिना कहे भी सब कह देता है. इसलिये निश्चित ही व्यंग्य की भाषा और अभिव्यक्ति शैली अन्य विधाओं से अलग होती ही है. अपनी बात पाठक को रोचक तरीके से समझाने के लिये  विषय के अनुरूप फ्रेम पर कथानक गढ़कर उसके गूढ़ार्थ पाठक तक पहुंचाने पर काम करना होता है. व्यंग्य लेखन एक कौशल है, जो शनैः शनैः विकसित होता है. इसके लिये रचनाकार को सामयिक संदर्भों से तादात्म्य बनाये रखना होता है. लेखक का अध्ययन उसे व्यंग्य लिखने में परिपक्वता प्रदान करता है. व्यंग्य लेखन में सीधा नाम लेकर प्रहार अशिष्ट माना जाता है. इसलिये अर्जुन की तरह प्रतिबिंब के सहारे सही निशाने पर लक्ष्य कर तीर चलाने की भाषाई सामर्थ्य व्यंग्य लेखन की बुनियादी मांग होती है. मानहानि के कानूनी दांव पेंचों के साथ ही लोगों की भावना आहत होने के खतरो से बचते हुये लेखन शैली व्यंग्य की विशेषता है .

अंदाजे बयां ऐसा हो कि बयान को नोटिस में लिया जाए ।

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© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार

संपर्क – ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023

मोब 7000375798, ईमेल [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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