श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “स्मृतियों के आँगन में…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 134 – स्मृतियों के आँगन में… ☆
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स्मृतियों के आँगन में यह,
काव्य कुंज का प्रतिरोपण ।
रंग – बिरंगे पुष्पों जैसे,
भावों का तुमको अर्पण ।
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कविताओं में अनजाने ही,
लिख बैठा मन की बातें ।
मैं कवि नहीं,न कविता जानूँ ,
न जानूँ जग की घातें ।
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आँखों से जो झलकी बॅूंदें ,
उनको लिख कर सौंप रहा ।
मन के उमड़े भावों की मैं ,
हृदय वेदना रोप रहा ।
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माटी की यह सौंधी खुशबू ,
जब छाएगी घर आँगन में ।
संस्कृतियों के स्वर गूँजगे ,
सदा सभी के दामन में ।
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यही धरोहर सौंप रहा मैं,
तुम मेरी कविताएँ पढ़ना ।
जब याद तुम्हें मैं आऊॅं तो ,
अपने कुछ पल मुझको देना ।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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