स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण कविता – कथा क्रम (स्वगत)…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 197 – कथा क्रम (स्वगत)…
(नारी, नदी या पाषाणी हो माधवी (कथा काव्य) से )
क्रमशः आगे…
जाओ
इनका अभीष्ट सिद्ध करो।
मूक माधवी
चल पड़ी
गालव के पीछे
जैसे
एक सीधी गाय
–
जाती है
वधिक के पीछे
वध स्थल की ओर।
(स्तब्ध निस्तब्ध और प्रश्न हीन )
माधवी के साथ
चले गालव
और
पहुंचे
इच्वाकुवंशी नृपतिशिरोमणि
महापराक्रमी
हर्यश्व के पास
जो थे
चतुरंगिनी सेना संपन्न ।
गालव ने
शुभाशीष देते हुए
स्पष्ट किया
आने का प्रयोजन।
राजेन्द्र
तुम चाहो तो
शुल्क देकर
इस सौन्द्रर्यवती से
कर सकते हो
विवाह
क्रमशः आगे —
☆
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
साभार : डॉ भावना शुक्ल
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈