श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता है उम्मीद अभी भी बाकी…” ।)

☆ तन्मय साहित्य  #238 ☆

☆ है उम्मीद अभी भी बाकी… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

बीता वक्त साथ में

बीत गए स्वर्णिम पल

मची हुई स्मृतियों में हलचल।

*

शिथिल पंख अनंत इच्छाएँ

कैसे अब उड़ान भर पाएँ

आसपास पसरे बैठे हैं

लगा मुखौटे छल-बल के दल

मची हुई स्मृतियों में हलचल…

*

कल परसों सी रही न बातें

अनजानी सी अंतरघातें

सद्भावी नहरे हैं खाली

हुआ प्रदूषित नदियों का जल

मची हुई स्मृतियों में हलचल…

*

सूरज से थे आँख मिलाते

चंदा से जी भर बतियाते

कैद दीवारों में एकाकी

शेष शून्यमय मन की हलचल

मची हुई स्मृतियों में हलचल…

*

ऋतु बसंत अब भी है आती

होली दिवाली शुभ राखी

परंपरागत करें निर्वहन

पर न प्रेम वह रहा आजकल

मची हुई स्मृतियों में हलचल…

*

है उम्मीद अभी भी बाकी

उदित सूर्य किरणें उषा की

आलोकित होंगे अंतर्मन

होंगे फिर जीवन पथ उज्जवल

मची हुई स्मृतियों में हलचल…

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments