सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – नवगीत –माँ शारदा वंदन…।
रचना संसार # 13 – नवगीत – माँ शारदा वंदन… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
☆
हे शारदे करुणामयी माँ,भक्त को पहचान दो।
श्वेतांबरा ममतामयी माँ,श्रीप्रदा हो ध्यान दो।।
*
गूँजे मधुर वाणी जगत में,वल्लकी बजती रहे।
कामायनी माँ चंद्रिका सुर,रागिनी सजती रहे।।
वागीश्वरी है याचना भी,भक्त का उद्धार हो।
विद्या मिले आनंद आए,प्रेम की रसधार हो।।
आभार शुभदा है शरण लो,बुद्धि का वरदान दो।
*
उल्लास दो नव आस दो प्रिय,ज्ञान की गंगा बहे।
चिंतन मनन हो भारती का,लेखनी चलती रहे।।
मैं छंद दोहे गीत लिख दूँ,नव सृजन भंडार हो।
आकाश अनुपम गद्य का हो,प्रार्थना स्वीकार हो।।
भवतारिणी तम दूर हो सब,नित नवल सम्मान दो।
*
तुम प्रेरणा संवाहिका हो,चेतना संसार की।
वासंतिका हो ज्ञान की माँ,पद्य के शृंगार की।।
साहित्य में नवचेतना हो,कामना कल्याण भी।
संजीवनी हिंदी सुजाता,श्रेष्ठ हो मम प्राण भी।।
आलोक प्रतिभा हो धरा की,लक्ष्य का संधान दो।
*
भामा कहें महिमामयी माँ,प्राणदा भावार्थ हो।
त्रिगुणा निराली साधना हो,भावना परमार्थ हो।।
हर क्षेत्र में साधक सफल हो ,चँहुदिशा जय घोष हो।
विपदा टरे उत्कर्ष हो माँ,ज्ञान संचित कोष हो।।
उत्थान हो इस देश का भी,शांति का परिधान दो।
☆
© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268
ई मेल नं- [email protected], [email protected]
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈