हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं # 40 – बेनाम रिश्ता ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

 

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं।  आज प्रस्तुत है उनकी  एक व्यावहारिक लघुकथा  “बेनाम रिश्ता। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं  # 40 ☆

☆ लघुकथा – बेनाम रिश्ता ☆

 

ट्रेन में चढ़ते ही रवि ने कहा, “ले बेटा ! मूंगफली खा.”

“नहीं पापाजी ! मुझे समोसा चाहिए” कहते हुए उस ने समोसा बेच रहे व्यक्ति की और इशारा किया.

“ठीक है” कहते हुए रवि ने जेब में हाथ डाला.  “ये क्या ?” तभी दिमाग में झटका लगा. किसी ने बटुआ मार लिया था.

“क्या हुआ जी ?”

घबराए पति ने सब बता दिया.

“अब ?”

“उस में टिकिट और एटीएम कार्ड भी था ?” कहते हुए रवि की जान सूख गई .

सामने सीट पर बैठे सज्जन उन की बात सुन रहे थे. कुछ देर बाद उन्हों ने कहा “आप लोगों का वहां जाने और खाने का कितना खर्च होगा ?”

“यही कोई १५०० रूपए .”

” लीजिए” उन सज्जन ने कहा,” वहां जा कर इस पते पर वापस कर दीजिएगा.”

“धन्यवाद” कहते ही रवि की आँखे में आंसू आ गए.

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

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