स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण कविता – कथा क्रम (स्वगत)…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 205 – कथा क्रम (स्वगत)…
(नारी, नदी या पाषाणी हो माधवी (कथा काव्य) से )
क्रमशः आगे…
भोजनगर नरेश
उशीनर से ।
उशीनर
को
संवाद मिल
‘चुका
था
वे उत्सुक और
आतुर थे
गालव का
प्रस्ताव सुनने
और
उसे
मानने के लिये ।
उन्होंने भी
दो सौ श्यामकर्ण अश्व
देने का वचन दिया।
कामदग्ध
उशीनर ने
माधवी को पाकर
स्वर्ग सुख पा लिया।
समय सीमा का
ध्यान रख
जी भर रमण किया।
फलतः
जन्मा पुत्र
शिवि ।
तीन नरेशों ने
किया सहवास
माधवी के साथ,
किया रमण
☆
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
साभार : डॉ भावना शुक्ल
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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