श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 130 ☆

राजभाषा दिवस विशेष – ॥ सजल – मेरा अभिमान है हिंदी ॥ ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

(सामांत – आन, पदांत – है हिंदी)

[1]

मेरी जान हिंदी, मेरा अभिमान है हिंदी।

हम सब की   इक़ पहचान है    हिंदी।।

[2]

हिंदी में ही बसते हैं प्राण  हम सबके।

हम सब का एक   ही नाम    है हिंदी।।

[3]

वेदशास्त्र पुराण संस्कारऔर संस्कृति।

एक अथाह सागर सा   ज्ञान है हिन्दी।।

[4]

सबकी बोली सबकी भाषा मन भाये।

कितना कहें कि बहुत महान है  हिंदी।।

[5]

प्रेम की भाषाऔर प्यार की बोली यह।

घृणा और नफरत सेअनजान है हिंदी।।

[6]

पुरातन काल के अविष्कारों का गौरव।

पूर्ण तकनीकी ज्ञान   विज्ञान है  हिंदी।।

[7]

संस्कृत भाषा से ही जन्मी हिंदी भाषा।

ऋषि मुनियों का गहन विधान है हिंदी।।

[8]

वसुधैव कुटुम्बकम का भाव    निहित।

जानो कि ऐसा एक   परिधान है हिंदी।।

[9]

विश्व एकता शांति की   अग्रदूत भाषा।

अमन चैन संदेश का अभियान है हिंदी।।

[10]

हर धर्म जाति भाषा  को जोड़ने वाली।

यूँ समझो हंस पूरा  हिंदुस्तान है हिंदी।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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