श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य शृंखला में आज प्रस्तुत है श्री गणेश वंदना “जय जय श्री गणेशाय नमः ”।)
☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य # 205 ☆
🌻 जय जय श्री गणेशाय नमः🌻
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हे बुध्दि प्रदायक, हे गण नायक, सब काज किए, देव बड़े।
हे ज्ञान विधाता, जन सुखदाता, शुभ आस लिए, लोग खड़े।।
सुन शंकर नंदन, तुम दुख भंजन, मूषक वाहन, लाल कहें।
हो सिध्दी विनायक, शुभ फल दायक, संकट कटते, आप रहे। ।
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हे शंकर कानन, गोद गजानन, मोदक प्यारे, भोग लगे।
हे भाग्य विधाता, घर – घर नाता, सबसे न्यारें, भाग जगे।।
ले आरत वंदन, रोली चंदन, मोती माला, रोज चढ़े।
हो पग-पग पूरन, तेरा सुमिरन, भारत आगे, दुआ बढे़।।
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सुन विनती मेरी, कृपा घनेरी, गौरा नंदन, कलम चले।
मन की अभिलाषा, समझे भाषा, आराधन से, कष्ट टले।।
हे दीनदयाला, जग रखवाला, अर्ध चंद्र से, भाल सजे।
कर तेरी सेवा, पाते मेवा, खुशी मनाते, ढोल बजे।।
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जाने जग सारा, नाम तुम्हारा, भक्तों के मन, धीर धरें।
बोले हर प्राणी, हो वरदानी, गौर गजानन, देव हरे।।
ले रिध्दी- सिध्दी, पाते प्रसिद्धि, पूजन अर्चन, भक्ति भरें
बोले जयकारा, दास तुम्हारा, हे लंबोदर, कृपा करें।।
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© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈