श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता “अपनी हिंदी…” ।)
☆ तन्मय साहित्य #247 ☆
☆ अपनी हिंदी… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
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हिंदी अपनी सहज सरल है
पानी जैसी शुद्ध तरल है।
पढ़ने सुनने में है प्यारी
जैसे घर की हो फुलवारी
झर झर बहती मुख से हिंदी
ज्यों निर्मल जलवाहक नल है।
हिंदी अपनी सहज सरल है।।
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हिंदी सबके मन को भाए
कथा कहानी औ’ कविताएं
ज्ञान ध्यान विज्ञान की इसमें
सारी दुनिया की हलचल है।
हिंदी अपनी सहज सरल है।।
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संविधान में यह शामिल है
देशवासियों का ये दिल है
अपनाया संसार ने हिंदी
इसमें जीवन सूत्र सबल है।
हिंदी अपनी सहज सरल है।।
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संस्कृत से निकली है हिंदी
लोकबोलियां मिश्रित हिंदी
पुण्य प्रतापी इस हिंदी में
गंगा की मधुरिम कल-कल है।
हिंदी अपनी सहज सरल है।।
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हिंदी में ही जन गण मन है
हिंदी में साहित्य सृजन है
हिंदी का सम्मान करें,
अपनी हिंदी निश्छल निर्मल है।
हिंदी अपनी सहज सरल है
पानी जैसी शुद्ध तरल है।।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈