श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 131 ☆

☆ गीत ॥ अहम वाणी व्यवहार से रिश्तों के किले ढह जाते हैं ॥ ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

अहम वाणी व्यवहार से रिश्तों के किले ढह जाते हैं।

लेकिन आपके ही  मीठे बोल से सारे शिकवे बह जाते हैं।।

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अपनों के साथ सही गलत का भेद नहीं खोलना चाहिए।

रिश्तों में कटुता बचाने के लिए दिल  से बोलना चाहिए।।

उनके रिश्ते कभी नहीं टूटते संबंधों में कुछ  सह जाते हैं।

अहम वाणी व्यवहार से रिश्तों के किले ढह जाते हैं।।

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नई सुबह नई उमंग के साथ   रिश्तों में नई ऊर्जा लाईए।

रिश्तों को धीरे – धीरे मरने से   आप खुद ही   बचाईए।।

जिन रिश्तों में अपनत्व स्नेह प्रेम वह सदैव वैसे रह पाते हैं।

अहम वाणी व्यवहार से रिश्तों के किले ढह जाते हैं।।

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नई कहानी नई रवानी बदलता है रिश्तों का रुप स्वरूप।

स्वार्थ से दूर आपसी अपनेपन से रिश्ते निभते अभूतपूर्व।।

वास्तविक रिश्तों में मौन से भी बहुत कुछ कह पाते हैं।

अहम वाणी व्यवहार से रिश्तों के किले ढह जाते हैं।।

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जब हमारा मन साफ होता तो हमारी वाणी शुद्ध होती है।

मन मस्तिष्क में नफरत तो बोली भी अशुद्ध      होती है।।

नाराजगी दूर करते ही हमारे रिश्ते फिर से चहचहातें हैं।

अहम वाणी व्यवहार से रिश्तों के किले ढह जाते हैं।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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