श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 136 ☆
☆ मुक्तक – ।।दीपावली।।रोशनी का अलौकिक पर्व।। 🪔 ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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[1]
दीपावली का पर्व मानों कि दीपों की कतार है।
उमंगों की लौ में सजा हर कोना बाजार है।।
ज्योति पर्व की रोशनी और लक्ष्मी गणेश का पूजन।
अमावस्या के अन्धकार को मिटाने का त्यौहार है।।
[2]
दीवाली रात हज़ारों नई उम्मीदें जगाती है।
हमारी ऊर्जा चमक को कई गुना बढ़ाती है।।
हर दर हर कोना हो जाता रोशन।
अपनों को अपनों के ही करीब ले आती है।।
[3]
हर कोना गुलज़ार हो हर जगह हो चमकती।
पटाखों के शोर में मिलन की आवाज़ धमकती।।
लक्ष्मी गणेश आशीर्वाद लाए खुशियों की सौगात।
हर चेहरे पर खिल जाए नई रोशनी दमकती।।
[4]
अंधकार से केवल प्रकाश की ओर जाना है।
हर स्थान से बस तम को ही मिटाना है।।
यह दीप पर्व करे बुद्धि विवेक का उन्नयन।
इस दीपावली सम्पूर्ण राष्ट्र आलोकित कराना है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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