श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। आज से प्रत्यक शनिवार प्रस्तुत है  यात्रा संस्मरण हम्पी-किष्किंधा यात्रा)

? यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा – भाग-१ ☆ श्री सुरेश पटवा ?

रामायण केंद्र भोपाल के अध्यक्ष डॉ राजेश श्रीवास्तव जी  ने जून 2023 में हम्पी-किष्किन्धा भ्रमण की योजना का विचार जब हमसे साझा किया तो समझ लीजिए मन की अभिलाषा पूरा होने की आशा जाग गई। हम्पी विश्व विरासत है। वह जगह है, जहाँ मुस्लिम आक्रांताओं ने सोलहवीं सदी में सनातन सभ्यता पर सबसे घृणित अत्याचार किए थे। जिसके जीवंत प्रमाण हम्पी के विध्वंस अवशेषों में बिखरे पड़े हैं। जबसे नीलकंठ शास्त्री की ‘दक्षिण भारत का इतिहास’ शौक़िया तौर पर पढ़ा था। तभी से हम्पी देखने की इच्छा बलवती थी। दूसरा आकर्षण किष्किन्धा क्षेत्र में आंजनेय पहाड़ी पर हनुमान जी की जन्म स्थली के दर्शन करना था। ये दोनों ही इच्छाएँ एक साथ पूरी होने का अवसर सामने था। हमने उनके प्रस्ताव पर तुरंत हामी भर दी।

रामायण केंद्र भोपाल के सानिध्य में 28 सितंबर 2023 से 02 अक्टूबर 2023 की कालावधि में सोलह सदस्यीय दल के साथ हमने भोपाल से हम्पी-किष्किन्धा-बादामी यात्रा संपन्न की थी। यात्रा के तीन उद्देश्य थे। पहला हॉस्पेट में रामायण सम्मेलन में भागीदारी, दूसरा हनुमान जन्म स्थली आंजनेय पर्वत की तीर्थ यात्रा और तीसरा विश्व विरासत हम्पी और बादामी पर्यटन। यह क्रम इसी तरह पूरा नहीं हुआ। हम्पी पर्यटन और रामायण सम्मेलन पहले दिन, आंजनेय पर्वत यात्रा दूसरे दिन और बादामी भ्रमण तीसरे दिन सम्पन्न हुआ। यह यात्रा वृतांत उसी क्रम में वर्णित है।

28.09.2023 को सुबह नौ बजे भोपाल से मुंबई की उड़ान है। यह उड़ान दोपहर ग्यारह बजे मुंबई पहुँचेगी। मुंबई से हुबली उड़ान तीन बजे के लगभग है। मुंबई उड़ान के लिए सात बजे भोपाल स्थित राजा भोज हवाई अड्डा पहुँचना है। इसका मतलब घर से सुबह साढ़े छै बजे निकलना। सुबह साढ़े चार का अलार्म भरा था, लेकिन दिमाग़ का अलार्म चार बजे ही बजने लगा। पहलवानी दिनों में यह सोच बचपन से घुट्टी में पिलाई गई है कि नींद खुलने के बाद बिस्तर पर पड़े रहने वाला कुंभकरण होता है। वह हनुमान भक्त नहीं हो सकता। लिहाज़ा बिस्तर छोड़ दिया। सबसे पहले यात्रा के साथी घनश्याम जी और जवाहर जी से मोबाइल पर बात हुई। तय कार्यक्रम अनुसार साढ़े छै बजे डॉक्टर जवाहर कर्णावत और घनश्याम मैथिल के साथ ओला टैक्सी से हवाई अड्डा निकलना था, लेकिन घनश्याम जी के पुत्र विकल्प घनश्याम ने विकल्प सुझाया कि वे हम तीनों को ख़ुद के वाहन से हवाई अड्डा छोड़ देंगे। जवाहर जी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि आज अयोध्या बाईपास पर बागेश्वर धाम के स्वयंभू संत के प्रवचन होने के कारण इस रास्ते पर कई अवरोध और विचलन मार्ग होंगे, इसलिए वीआईपी रोड़ से ही हवाई अड्डा चला जाए। ठीक सवा छै बजे जवाहर जी लगेज सहित हमारे घर पहुँचे। वे लगेज रखकर खड़े ही हुए थे। तभी विकल्प ने गाड़ी घर के सामने लगा दी। हम सात बजे के कुछ पहले हवाई अड्डा पहुँच गए। जवाहर जी की टिकट अलग से बनी थी। वे अंदर चले गए। हमारी टिकट राजेश जी के समूह के साथ थी। हमको राजेश जी का इंतज़ार करना पड़ा। वे पूरी टीम सहित सवा सात बजे हवाई अड्डा गेट पर पहुँचे तब हमने अंदर प्रवेश किया।

हवाई अड्डे पर औपचारिकता पूरी करके कुर्सियों पर बैठ बोर्डिंग का इंतज़ार करने लगे। अवसर का लाभ उठाते हुए, डॉ राजेश श्रीवास्तव ने सभी को अवगत कराया कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य हम्पी में स्थित आंजनेय पर्वत, किष्किंधा में हनुमान जी की जन्मस्थली तथा आसपास के धार्मिक स्थलों का भ्रमण कर साहित्यिक शोध पत्र प्रस्तुत करना है।  हनुमान महोत्सव का मुख्य आयोजन 29 सितंबर को कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बी. डी. परमशिवमूर्ति के मुख्य आतिथ्य में संपन्न होना है। इस अवसर पर रामायण केन्द्र की पत्रिका उर्वशी के हनुमान विशेषांक सहित अन्य पुस्तकों का लोकार्पण भी किया जाएगा। हम्पी विश्वविद्यालय के अनेक प्रोफेसर इस आयोजन में हनुमान प्रसंग पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

© श्री सुरेश पटवा 

भोपाल, मध्य प्रदेश

*≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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