स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण कविता – युग – सत्य…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 212 – युग – सत्य…
शब्दों की सजीवता की बात
सुनी थी,
आज देखता हूँ।
देखता हूँ: रक्तपात।
देखता हूँ : गर्भपात।
लगता है
इन शब्दों में
युग-सती संश्लिष्ट है।
शायद,
शब्दों का क्रिया बोध
इस युग का इष्ट है।
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© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
साभार : डॉ भावना शुक्ल
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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