श्री आशिष मुळे

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 48 ☆

☆ कविता ☆ “नहीं चाहिए मुझे…☆ श्री आशिष मुळे ☆

नहीं चाहिए मुझे

वो लाली नकली

वो रोशनी झूठी 

ना ही शान फूटी

ना सादगी मतलबी

 *

नहीं चाहिए मुझे

वो चकाचौंध वो चमक

कितनी रोशन मेरी खिड़की

जिसने देखा है चाँद असली

या दिल का या हो आसमानी

 *

नहीं चाहिए मुझे

वो रिश्ते वो आसान रास्ते

चाहूँ जो छू सके दिल को

वो बात जो है इंसानी

वो यारी वो दिल्लग़ी

 *

चाहिए मुझे

वो रक़्स ए दीवानगी

वो हालात ए आवारगी

वो क़ैद ए रिहाई

वो आसमाँ ए आज़ादी…

© श्री आशिष मुळे

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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