श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता “सही-सही मतदान करें…” ।)
☆ तन्मय साहित्य #255 ☆
☆ सही-सही मतदान करें… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
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चलो! आज कुछ बातें कर लें
जागरूक हो ज्ञान की
क्या महत्व है मतदाता का
क्या कीमत मतदान की।
मंदिर बना हुआ है लोकतंत्र का,
सबके वोटों से
बचकर रहना, लोभी लम्पट
नकली धूर्त मुखौटों से,
नहीं प्रलोभन, धमकी से बहकें
सौगन्ध विधान की। ……
जाती धर्म, रिश्ते-नातों को भूल,
सत्य को अपनाएँ
सेवाभावी, निःस्वार्थी को
वोट सिर्फ अपना जाए,
मन में रहे भावना केवल
देश प्रेम सम्मान की। …….
जिस दिन हो मतदान
भूल जाएँ
सब काम अन्य सारे
मत पेटी के वोटों से ही
होंगे देश में उजियारे,
महा यज्ञ राष्ट्रीय पर्व पर
आहुति नव निर्माण की। ……
मतदाता सूचियों में पात्र नाम
सब अंकित हो जाये
है अधिकार वोट का सब को
वंचित कोई न रह पाए,
बजे बाँसुरी सत्य-प्रेम की
जन गण मंगल गान की
क्या महत्व है मतदाता का
क्या कीमत मतदान की।।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈