श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “किसको दें इल्ज़ाम…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 87 ☆ किसको दें इल्ज़ाम… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
शहर बिक गया
औने-पौने दाम।
कचरा ठेके पर
बिजली की आँखमिचोली
गड्ढों में सड़कें
सड़कों पर धूल की होली
शहर सो गया
बोलो सीताराम ।
सत्ता खेले खेल
दाँव पर लगी है जनता
पैसों के पीछे
चकमक में खोया रिश्ता
शहर लुट गया
गली-गली बदनाम।
सुस्त पड़े कानून
नियम सब कागज ढोते
मंदिर-मस्जिद के
झगड़े में वैमनस्य बोते
शहर रुक गया
किसको दें इल्ज़ाम ।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
१०.१२.२४
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