डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – कुम्भ )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 264 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे  – कुम्भ ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

गंगा जी की धार में, बहते पुण्य अपार।

संगम तट पर कुंभ है, आए भक्त हजार।।

*

साधु संत नागा सभी, करते  जय जयकार।

महाकुंभ उत्सव सजे, लगे भक्त दरबार।।

*

 पावन डुबकी गंग में,तन – मन का आधार।

 पाप  धुले सारे यहां ,यहां मोक्ष अगार ।।

*

 मेले की है भव्यता, पावनता  संचार।

केंद्र सजा आध्यात्म का, होता बहुत प्रचार।।

*

संगम तट की रेत पर, ज्ञान भक्ति वैराग्य।

भजन भाव सब कर रहे, पूज रहे आराध्य।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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