श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता तू अपना नाम तो लिख दे …”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 208 ☆

☆ # “तू अपना नाम तो लिख दे …” # ☆

उठा कलम के आसमान पर

नाम लिख सके

सुबह को सुबह 

शाम को शाम लिख सके

 

लिखने वालों की

दुनिया में कोई कमी नहीं है

दौड़ जारी है

अभी थमी नहीं है

 

पर तुझे अलग से लिखना है

दुनिया से अलग दिखना है

जो जख्म खाए हैं तूने रात दिन

उनसे हर पल अलग सीखना है

 

भूखे को भूखा

नंगे को नंगा लिख

व्यवस्था से लड़ने वालोंको

पंगा लिख

गरीब को गरीब

 चंगे को चंगा लिख

नफरत के उन्माद को

कट्टरता और दंगा लिख

 

कलम की धार तेज कर

बादलों को चीर

तपती हुई धरती पर

बरसा शीतल नीर

प्यासी प्यासी आंखों को

तुझसे उम्मीद है

तू ही दूर करेगा

उनकी जन्मों जन्मों की पीर

 

माना यह रास्ता

कांटों से भरा है

बचपन से जो रिसता है

वह जख्म अब भी हरा है

तूने जंगल की आग में

तपाया है खुद को

तू तो व्याघ्र है

कब दुनिया से डरा है

 

शिकारियों  की बंदूके

तुझ पर तनी है

तू कलमकार है

शब्दों का धनी है

मरकर भी अमर होगी

 कोख तेरी मां की

जिसने तुझ जैसी जांबाज औलाद जनी है

 

जाते-जाते तू

 हमको यह भीख दे

स्वाभिमान से जीने की

कला की सीख दे

सदियों तक तुझे

 हम याद करेंगे

सबके हृदय पर

तू अपना नाम तो लिख दे /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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