श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “भाग्य हमारा” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 96 ☆ एक नवगीत- भाग्य हमारा ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
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अब तो मौसम के हाथों में
सब कुछ है भाई
देखो भाग्य हमारा
कैसी करवट लेता है।
जोड़ तोड़ कर बीज जुटाया
सपनों को बोया
आँखों के पानी से काली
रातों को धोया
कुछ कुछ आशा हुई बलवती
मंगरे पर कागा
रहा उचार सगुन बैठा
जाने कब सुधि लेता है।
ब्याह गई घर की है मैना
छोड़ गई करजा
और महाजन की ड्योढ़ी पर
हाथ जोड़ परजा
खड़ी हुई उम्मीदें सारी
खेतों के आँगन
दगा न दे निष्ठुर मौसम
शंकालू मन होता है।
अबके सब त्योहार देहरी
पूजेंगे मिलकर
धरा आत्मा में बैठी
गाएगी संवत्सर
फसल रचेगी राँगोली
हर द्वारे बंदनवार
चल कर आँयेगीं ख़ुशियाँ
उल्लास सगुन बोता है।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)
मो.07869193927,
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈