श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय और ज्ञानवर्धक कहानी- – “लेजर का रहस्य”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 208 ☆
☆ बाल कथा – लेजर का रहस्य ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆
एक दिन छोटा सा लड़का अरुण अपनी किताबों में खोया हुआ था। अचानक उसकी नजर लेजर बीम पर पड़ी। उसने पढ़ा कि यह प्रकाश की गति, यानी 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड, से चलती है!
अरुण के मन में एक सवाल कौंधा—क्या यह किसी खतरे को रोकने के लिए इस्तेमाल हो सकती है?
उत्सुकता में वह अपने पिता, डॉ. विजय, के पास गया, जो एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। “पापा, क्या लेजर से कोई हथियार बनाया जा सकता है?” अरुण ने पूछा।
डॉ. विजय ने मुस्कुराकर कहा, “शायद, बेटा। यह सोचने वाली बात है।”
फिर वे चले गए, और अरुण का मन और भी जिज्ञासु हो गया।
दिन बीतते गए, और अरुण ने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा। लेकिन एक सुबह, डॉ. विजय अचानक अरुण के पास आए। उनके चेहरे पर गर्व और उत्साह था।
“शाबाश, बेटा! तुम्हारी वजह से आज मैंने एक बेहतरीन काम किया है!” उन्होंने कहा।
अरुण की आंखें चमक उठीं। “पापा, वह काम क्या है?” उसने उत्सुकता से पूछा।
डॉ. विजय ने मुस्कान के साथ एक कमरे की ओर इशारा किया। “आओ, मैं तुम्हें दिखाता हूं।”
वे एक प्रयोगशाला में गए, जहां एक चमकदार मशीन रखी थी। डॉ. विजय ने कहा, “यह एक लेजर बीम हथियार है! यह प्रकाश की गति से चलती है और किसी भी उड़ने वाले यान या खतरे को चंद सेकंड में नष्ट कर सकती है।”
अरुण का मुंह खुला का खुला रह गया। “लेकिन पापा, यह कैसे हुआ?” उसने पूछा।
डॉ. विजय ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा, “एक दिन तुमने मुझसे पूछा था कि क्या लेजर से हथियार बनाया जा सकता है। उस सवाल ने मुझे प्रेरित किया। मैंने दिन-रात मेहनत की, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सिस्टम और लेजर तकनीक पर काम किया, और यह चमत्कार बन गया। तो शाबाशी के असली हकदार तुम हो, बेटा!”
अरुण हैरान रह गया। क्या उसका एक साधारण सवाल इतना बड़ा आविष्कार बन सकता है?
उस दिन से अरुण की जिज्ञासा और बढ़ गई। वह सोचता रहा कि उसका अगला सवाल क्या होगा, जो शायद दुनिया बदल दे। डॉ. विजय ने हथियार को देश की रक्षा के लिए तैयार किया, लेकिन अरुण के मन में एक रहस्य बना रहा—क्या और भी चमत्कार उसकी जिज्ञासा से पैदा होंगे?
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© श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
14-04-2025
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