डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 44 – साहित्य निकुंज ☆
☆ पेंशन ☆
“क्या हुआ तुम क्यों अम्मा को चिल्ला रही हो ?”
“अरे तुम तो ड्यूटी चले जाते हो अम्मा सुनती नहीं हैं, चलते बनता नहीं है फिर भी बर्तन मांजने बैठ जाती हैं. एक पल भी बैठने नहीं देती .”
“देखो तुमसे कितनी बार कहा अम्मा का ध्यान रखा करो. उन्हें कुछ करने नहीं दिया करो .”
वहां से अम्मा की कराहने की आवाज़ आती है ….”वे कहती है बेटा अब ऐसे जीने से अच्छा है भगवान् हमें उठा ले कितना जियेगे .”
“नहीं अम्मा ऐसा नहीं कहते आप आराम करो हम अभी आते हैं “
इतने में बहू आती है ..” कहती है क्यों अम्मा क्या शिकायत कर रही थी इनसे .”
“ नहीं हमने कुछ नहीं कहा ..”
इतने में बहू अम्मा का हाथ मरोड़ती और दबी आवाज में कहती है..” तुम्हें सिर्फ इसलिए खिला पिला रहे हैं, क्योंकि हर महीने तुम्हारी पेंशन जो आती है.”
अम्मा ने अपना हाथ बहू के सिर पर रख दिया।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
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