श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक विचारणीय लघुकथा “परीक्षा”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं # 48 ☆
☆ लघुकथा – परीक्षा☆
यानी सभी छात्रों ने एक साथ नकल की थी. छात्रों के 20 अंकों के उत्तर गलत थे. मुझ से रहा नहीं गया. एक छात्र से पूछ लिया, “ये गलत उत्तर किस ने बताएं है ?”
सभी छात्र आवाक रह गए. और एक छात्र ने डरते डरते कहा, “मैडम ने !”
“ये सभी उत्तर गलत है,” मैं जोर से चिल्लाया, “अपने उत्तर कांट कर अपनी मरजी से उत्तर लिखों. वरना, इस परीक्षा में सब फेल हो जाओगे.”
तभी केंद्राध्यक्ष ने आ कर कहा, “क्यों भाई ! क्यों चिल्ला रहे हो ? जानते नहीं हो कि ये परीक्षा है.”
मैं चुप हो गया. क्या जवाब देता. ये परीक्षा है ?