श्री आशीष कुमार
(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे उनके स्थायी स्तम्भ “आशीष साहित्य”में उनकी पुस्तक पूर्ण विनाशक के महत्वपूर्ण अध्याय। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है एक महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक आलेख “ कला ”। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य # 46 ☆
☆ कला ☆
जैसा कि मैंने आपको बताया था, कला का अर्थ कुछ विशेष गुणवत्ता है कई कलाओं के विशेष गुणों का समुच्चय ही किसी व्यक्ति को पूर्ण बनता है ।
भगवान कृष्ण के पास 16 कलाएँ और भगवान राम के पास 12 कलाएँ थी । इसका अर्थ कदापि यह नहीं है कि भगवान राम भगवान कृष्ण से किसी तरह से कम थे । किन्तु दोनों अलग-अलग राजवंशों में पैदा हुए थे और जिस जिस वंश में उनका जन्म हुआ था उनमे उस वंश की सभी कलाएँ उपस्थित थी । भगवान कृष्ण चंद्र वंश के थे और चंद्रमा की 16 कलाएँ होती हैं, इसलिए भगवान कृष्ण चंद्र की 16 कलाओं से युक्त थे । मैंने आपको चंद्रमा की 16 कलाएँ और उनकी 16 देवियों के विषय में बताया था ।
भगवान राम सूर्य वंश में जन्मे थे, और उनमे सूर्य की सभी 12 कलाएँ उपस्थित थी ना की चंद्रमा की 16 कलाएँ । और सूर्य की इन 12 कलाओं के देवता पुरुष हैं, न कि चंद्रमा की तरह उसकी 16 कलाओं की देवियाँ । सूर्य के ये 12 कला देवता 12 आदित्य हैं । उनके नाम एक शास्त्र से दूसरे में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन वे 12 महीनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और उनकी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं, और पर्यावरण पर भी उनका अलग अलग प्रभाव पड़ता हैं जैसे चंद्रमा की विभिन्न तिथियों की भिन्न भिन्न देवियाँ होती है और उनका हर रात्रि हमारे मस्तिष्क और प्रकृति पर अलग अलग प्रभाव पड़ता हैं ।
तो आप समझते हैं कि सूर्य पुरुष ऊर्जा या शारीरिक ऊर्जा को दर्शाता है, इसलिए सूर्य की कलाओं के देवता पुरुष है और चंद्रमा स्त्री ऊर्जा या मानसिक ऊर्जा को दर्शाती है तो उसकी कलाओं की देवी स्त्री रूप है ।
यही कारण है कि भगवान राम ने रावण को भौतिक शक्ति से पराजित किया और भगवान कृष्ण ने मानसिक शक्तियों का उपयोग करके पांडवों की सहायता करके कौरवों का अंत किया । ना केवल सूर्य और चंद्रमा बल्कि अग्नि की भी कलाएँ होती हैं । अग्नि की दस कलाएँ होती हैं और वे धुमरा, अर्चि, ऊष्मा, ज्वालिन्यै, विस्फुलिंगिनैयी, सुसारी, सुरुपा, कपिला, हव्यवाह एवं काव्यवाह हैं ।
क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु का कौन सा अवतार है जो अग्नि की सभी दस कलाओं से युक्त था ?
वह भगवान नरसिंह है।
© आशीष कुमार
नई दिल्ली