श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आज प्रस्तुत है आपकी प्रथम हिंदी रचना ” ये मेरी धरती माँ ”। आपका इस अभिनव प्रयास के लिए अभिनन्दन । आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। )
☆ रंजना जी का साहित्य # 51 ☆
☆ ये मेरी धरती माँ ☆
ये मेरी धरती माँ सबसे पावन है।
सितारा दुनियाँ का सबको मनभावन है।।धृ।।
चरण रज माँ तेरी जलधि नित धोता है।
उन्नत माथे पे हिमालय रहता है।
नदियों की धाराओं से हर गली उपवन है।।१।।
घनेरे जंगल ये घटाये लाते हैं।
सुनहरे झरने तो तराने गाते हैं।
खेत खलिहानो में मचलता सावन है।।२।।
मर्यादा पुरुषोत्तम कही रघुनंदन है।
नटखट राधा के देवकीनंदन है।
रुप इन दोनों के सभी घर आंगण है।।३।।
वेद उपनिषदों की अमृत गाथा है
कुरान और धम्मदीप सबको मन भाता है।
सहिष्णु भूमि के चरणों में वंदन है।।४।।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105
अच्छी रचना