श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी के हाइबन ” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है एक हाइबन “नभ में छवि”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी के हाइबन # 60 ☆
☆ नभ में छवि ☆
आठ वर्षीय समृद्धि बादलों को उमड़ती घुमड़ती आकृति को देखकर बोली, ” दादाजी ! वह देखो । कुहू और पीहू।” और उसने बादलों की ओर इशारा कर दिया।
बादलों में विभिन्न आकृतियां बन बिगड़ रही थी, ” हाँ बेटा ! बादल है ।” दादाजी ने कहा तो वह बोली, ” नहीं दादू , वह दादी है।” उसने दूसरी आकृति की ओर इशारा किया, ” वह पानी लाकर यहां पर बरसाएगी।”
“अच्छा !”
“हां दादाजी, ” कहकर वह बादलों को निहारने लगी।
नभ में छवि~
दादाजी को दिखाए
दादी का फोटो।
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
अच्छी रचना
आपको मेरी रचना अच्छी लगी । यह पढ़कर मन प्रसन्न हुआ। हार्दिक आभार आपका।