सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा

(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी  सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की  साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर  के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में  एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी  एक भावप्रवण रचना “मिलाओ हाथ ”। )

आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी के यूट्यूब चैनल पर उनकी रचनाओं के संसार से रूबरू हो सकते हैं –

यूट्यूब लिंक >>>>   Neelam Saxena Chandra

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 49 ☆

☆ मिलाओ हाथ  

 

ऐ दोस्त!

क्या तुमको अच्छा नहीं लगता

जब कोयल मधुर सा गीत गाती है

और हर दिल को लुभाती है?

जब सुबह की केसरिया किरण

सारे जग को महकाती है?

जब लहराती हवाएं लचकती सी चलती हैं

और मुस्कुराते दरख्तों से टकराती हैं?

जब परिंदे उड़ान भरते हैं

और हमारी भी उम्मीदें आसमान छू जाती हैं?

 

कितना कुछ है क़ुदरत के पास

हमें देने के लिए, हमें सिखाने के लिए?

क्यों हम उसी क़ुदरत से खेलते हैं

और उसके नियमों को तोड़ते हैं?

 

उसकी तो वंदना करनी होगी,

लेनी होगी कसम हम सभी को

कि मिला लेंगे हम सब हाथ

उस कोयल से, उस किरण से,

उन दरख्तों से, उन परिंदों से

और हम सब अब चलेंगे साथ-साथ!

 

© नीलम सक्सेना चंद्रा

आपकी सभी रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं एवं बिनाअनुमति  के किसी भी माध्यम में प्रकाशन वर्जित है।

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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