(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी का एक विचारणीय व्यंग्य चरित्र प्रमाण। अब तो चरित्र प्रमाण की भी जांच के लिए बाजार में बैकग्राउंड वेरिफाइंग एजेंसीस आ गईं हैं। ऐसे विषय पर बेबाक राय रखने के लिए श्री विवेक रंजन जी का हार्दिकआभार। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 71 ☆
☆ व्यंग्य – चरित्र प्रमाण ☆
चरित्र प्रमाण पत्र का अपना महत्व होता है, स्कूल से निकलते समय हमारे मास्टर साहब ने हमसे केवल 10 रुपये स्कूल के विकास के लिए लेकर हमारी सद्चरित्रता का प्रमाण पत्र दिया था. फिर हमारी नौकरी लगी गोपनीय तरीके से हमारे चरित्र की जांच हुई. मुंशी जी हमारे घर आकर हमारे चरित्र की जांच कर गए. वे पिताजी से इकलौते बेटे के गजटेड पोस्ट पर पोस्टिंग का नजराना लेना नहीं भूले. इस तरह हम प्रमाणित चरित्रवान हैं. बिना चरित्र के मनुष्य कुछ नहीं होता, हमें एक सूत्र वाक्य याद आता है “यदि धन गया तो कुछ नहीं गया यदि स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और यदि चरित्र गया तो सब कुछ गया”. गणित के विलोम साध्य के अनुसार सहज ही प्रमाणित होता है कि यदि किसी के पास चरित्र है तो सब कुछ है.अर्थात मेरे पास और देश के हर नागरिक के पास जिसके पास चरित्र प्रमाण पत्र है सब कुछ है. हमारे स्कूलों और कॉलेजों से निकले हर विद्यार्थी के पास सब कुछ है, इसीलिये सरकारो को उनकी नौकरी की ज्यादा फिकर नही.
पिछले दिनों मैने कॉलेज के चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने वाले रजिस्टर की सूची देखी, मैंने पाया कि जब से कॉलेज चल रहा है ऐसा कोई भी छात्र नहीं है जिसे अच्छे चरित्र प्रमाण पत्र नही दिया गया. मतलब चरित्र प्रमाण पत्र खोया पाया वाला अखबारी कालम हो गया. जिसमें आज तक मैंने सिर्फ और सिर्फ खोया वाली सूचनाएं ही पढ़ी है, पाया कि नहीं. यदि आपको कहीं कोई सूचना पाया कि मिले तो मुझे जरूर सूचित करें जिससे मुझे अपने देश के चरित्रवान लोगों के चरित्र का एक और प्रमाण पत्र मिल सके. टीवी पर गुमशुदा लोगों के चेहरे आपने जरूर देखें होंगे. मैं अपने बच्चों के साथ यह कार्यक्रम जरूर देखता हूं और चित्र दिखाए जाने के बाद उद्घोषक के गुमशुदा की आयु बताने से पहले खोए हुए व्यक्ति की अनुमानित आयु चित्र में चेहरा देखकर बता देता हूं. धीरे-धीरे बच्चों को भी अनुमान लगाने वाले इस खेल में मजा आने लगा है और हमें महारत हासिल होती जा रही है. यहां यह सब बताने का मेरा उद्देश्य यही है कि इन चित्रों के प्रसारण से अब तक कितने लोग ढूंढ निकाले गए हैं यह शोध का विषय है.
चरित्र का महत्व निर्विवाद है. रामचरित्र पर गोस्वामी जी की पूरी रामायण ही लिख गये हैं. महापुरुषों के जीवन चरित्र बाल भारती के पाठ में कैद कर दिए गए हैं. जिस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देकर बच्चे बहुत अच्छे नंबरों से पास होते रहते हैं. यह बात और है कि उन पाठों को पढ़ने के लिए मास्टर ट्यूशन के लिए प्रेरित करते हैं और ट्यूशन वाले छात्रों को विशेष गेसिंग भी उपलब्ध करवाते हैं, खैर यह मास्टर साहब का चरित्र है. बच्चे उन पाठो को जीवन में कितना उतार पाते हैं यह बच्चों का चरित्र है.
जैसा राजा वैसी प्रजा बहुत पुरानी कहावत है. इसलिए राजाओं का चरित्रवान होना मेरे जैसे आम नागरिक के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है. मुझे संतोष है कि हमारे नेता लगातार चरित्रवान सिद्ध हो रहे हैं पिछले कई घोटालों में अनेक विदेशी ताकतों या विपक्ष ने हमारे नेताओं के चरित्र पर कीचड़ उछालने के प्रयत्न किए पर गर्व का विषय है कि हमारी अदालतों से हमारे नेता बेदाग बरी होकर, फिर से चुनाव लड़कर नये चरित्र प्रमाण पत्र अर्जित कर चुके हैं. यह बात काबिले गौर नहीं है कि अदालत संदेह के आधार पर किसी को सजा देने के पक्ष में नहीं होती, और साक्ष्य के बिना सजा नही देती. और होशियार घोटालेबाज कभी साक्ष्य नही छोड़ते, या गलती से छूट भी जायें तो केस चलने से पहले नष्ट कर देते हैं, भले ही इसके लिये उन्हें हत्या ही क्यो न करनी पड़ी. चरित्र की रक्षा के लिये हर खतरा उठाना ही पड़ता है. नेता ही नहीं अभिनेता भी चरित्र प्रमाण पत्र एकत्रित करने में पीछे नहीं हैं.
एक बार एक ग्वाला भैंस खरीदने गया विक्रेता ने उसे 3 भैंसें दिखलाईं पहली भैंस 15 लीटर दूध देती थी और उसका मूल्य 15000 रुपये था, दूसरी भैंस 10 लीटर दूध देती थी और उसका मूल्य 10000 रुपये था, तीसरी भैंस बिल्कुल दूध नहीं देती थी उसका मूल्य 30000 रुपये बताया गया. जब इसका कारण पूछा गया तो उसने कहा कि आखिर चरित्र की भी तो कोई कीमत होती है. तो भैंस के चरित्र के 30,000 होते हैं. क्रिकेट में खिलाड़ी नीलामी में बिकते हैं, उनका अपना अपना मोल है. एक बड़े वकील साहब ने सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की, उन्हें एक रुपये की सजा हुई, मैं नही समझ पाया कि यह मूल्य न्यायालय की अवमानना का था या वकील साहब का. दल बदल कानून की नाक के नीचे, आम आदमी की फिकर करते विधायको सांसदो की हार्स ट्रेडिंग प्रायः अखबारों की सुर्खी बनती है, पर हर बार जब भी सरकार नही गिरती मुझे अपने चुने हुये नेताओ के चरित्र पर बड़ा गर्व होता है, कैसे निकालते होंगे वे बेचारे रिसार्ट्स में वे प्रलोभन भरे दिन सोचना चाहिये. नेताओं के चरित्र का मूल्य सिर्फ एक मंत्री पद तो नहीं है. तो हमारे, आपके चरित्र का मूल्य हमें स्वयं निर्धारित करना है.
© विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर
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≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈