श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भावप्रवण विचारणीय रचना “शराफ़त का उतारो तुम न जेवर...“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 74 ☆
शराफ़त का उतारो तुम न जेवर... ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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हमेशा तौलिए हर बात लोगो
करे दिल पर बड़ा आघात लोगो
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नदी तालाब दरिया और सागर
सभी कतरे की है सौगात लोगो
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ख़ुशी खाँसी खुनस मदिरा मुहब्बत
छुपा सकते नहीं ज़ज़्बात लोगो
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बचा सकते हैं तन मन बारिशों से
भिगो दे आँखों की है बरसात लोगो
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शराफ़त का उतारो तुम न जेवर
कोई दिखलाय जब औकात लोगो
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सबेरे पर यकीं रखिये वो होगा
नहीं रहना है गम की रात लोगो
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न इनका दीन औ ईमान कोई
नहीं हैवान की है जात लोगो
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यकीं है जीत पर मुझको मिलेगी
हुई शह है नहीं ये मात लोगो
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अरुण आनंद लेता इनको गाकर
भजन प्रेयर या होवें नात लोगो
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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