श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “बोझ तुम मान  के बेटी नहीं रुखसत करना“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 84 ☆

✍ बोझ तुम मान  के बेटी नहीं रुखसत करना… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

क्या रखा दर्प में छोड़ो ये फ़ज़ीयत करना

चाह इज्जत की है तो सीख ले इज्जत करना

 *

हर इबादत का शरफ़ दोस्त मिलेगा तुझको

दरमन्दों से गरीबों से मुहब्बत करना

 *

पहले कर लेना हुक़ूमत से गुज़ारिश फिर भी

कान पर जूं न जो रेंगें तो बगावत करना

 *

एक हद तक ही मुनाफे को कहा है जायज़

दीन को ध्यान में रखके ही तिज़ारत करना

 *

आसतीनों के लिए नाग भी बन जाते हैं

आदमी देख के ही आज रफाक़त करना

 *

हम सफ़र उंसके हो लायक जो उसे दे सम्मान

बोझ तुम मान  के बेटी नहीं रुखसत करना

 *

दोसती करके निभाना है अरुण मुश्किल पर

कितना आसान किसी से भी अदावत करना

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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