प्रोफेसर सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
(प्रस्तुत है हमारे आदर्श गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा नर्मदा जयंती पर्व पर्व पर विशेष कविता ‘माँ नर्मदे ‘। )
☆ नर्मदा जयंती विशेष – माँ नर्मदे ☆
मां नर्मदे तुमसे है सुंदर मध्यप्रदेश हरा-भरा
पाकर अमृत सा जल तुम्हारा हुई पावन यह धरा
पल रहे वन ,ग्राम ,खेत कछार सब तव तीर के
है भक्त पूजक उपासक श्रद्धालु निर्मल नीर के
तट वासी सब जन प्राणियों को तुम्हारा ही आसरा
तुम भाग्य रेखा यहां की कृषि वनज औ व्यापार की
तुम से जुड़ी हैं भावनाएं धार्मिक व्यवहार की
दर्शन परिक्रमा आरती हरती हर एक की हर व्यथा
दोनों तटों पर तीर्थ हैं कई पावनी अनुपम कथा
वरदान से माँ तुम्हारे ही वनांचल है हरा-भरा
अविरल तुम्हारी धार निर्मल बहे यह ही चाह है
छू पाये न कोई प्रदूषण बस यही परवाह है
मन हुआ जग का है मलिन इससे बढी है मलिनता
हर ठौर सात्विक शुद्धता हो, रखें सब जन सजगता
स्वच्छता सदभाव अपनी पुरानी है परंपरा
स्वच्छता से खुशी बढ़ती स्नेह से विश्वास है
आपसी सद्भावना देती नवल नित आश है
हर नवीन विकास को सहयोग देती सफलता
जहां होती सहजता दिखती वहीं पर सरलता
रहे निर्मल जल तुम्हारा फुहारे की धार सा
रचियता
प्रोफेसर सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
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