श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है शब्द आधारित कृष्णा के दोहे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 35 ☆
☆ कृष्णा के दोहे ☆
साधना
सत्य प्रेम की साधना, ईश्वर को स्वीकार
प्रभु चरणों में ध्यान धर, हो जाए उद्धार
उत्थान
सच्चाई पर जो चले, पाए जग में मान
सत्य बिना होता नहीं, जीवन का उत्थान
राष्ट्रप्रेम
राष्ट्रप्रेम की भावना, हो मन में भरपूर
जियो देश हित के लिए, बनकर सच्चा शूर
बलिदान
वीर सपूतों ने दिया, प्राणों का बलिदान
सीमा पर लड़ते रहे, जब तक तन में जान
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश
अच्छा प्रयास