श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत है उनकी एक सामायिक कविता “नजरिया ”. आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार पढ़ सकते हैं . )
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 15 ☆
☆ नजरिया ☆
कल अचानक
मानवाधिकार
संगठन के
पदाधिकारी
से बात हो गई .!
हमने पूछा
आपकी
मानवता
बेटियों पर
कहाँ सो गई..?
सुनकर थोड़ा
झुंझलाए.!
फिर थोड़ा
करीब आये..!!
बोले हम तो
शिकायत पर
काम करते हैं.!
साबित होने पर
हिदायत तमाम
करते हैं..!!
हमने कहा
आपको
निर्भया, प्रियंका
के साथ घटित
घटना का इल्म है..?
झट बोले हां
ये तो बहुत बड़ा
जुल्म है..!
हमने बात
आगे बढ़ाई..!
कुछ आगे भी
बोलो भाई..!
जुल्म तो सबको
पता है.!
पर उस बेटी के
पास कुछ न
बचा है..!!
बोला हम इसकी
घोर निंदा करते हैं.!!
हमने कहा क्या आप
उन्हें ज़िंदा करते हैं..?
यह सुनकर
वह थोड़ा वहां से
खिसके..!
थोड़ा झिझके..!
फिर थोड़ा हुए रोबीले.!
एक नए अंदाज़ में बोले.!
महिलाएं भी इसमें
हैं जिम्मेदार.!
फैशन का है
उन पर भूत सवार..!!
हमने कहा
बस करो यार..!
सारी बंदिशें
पाबंदी सिर्फ
क्या बेटियों पर.?
और बेटों की आज़ादी
बुलंदियों पर..!!
बेटियों पर नजर.!!
बेटों से बे-खबर.!!
यही तो हमारी
कमजोरी है.!!
नजरिया बदलना
बहुत जरूरी है..!!
अब तो कुछ नेता भी
बेतुके बयान देते हैं..!
कुछ तो जाति धर्म
का नाम देते हैं..!!
इन्हें हर बात में
राजनीति याद
आती है..!
इनकी मानवता
जाने कहाँ सो जाती है..?
पर आप तो
मानवाधिकार के
पदाधिकारी हैं.!
आपकी सबसे बड़ी
जिम्मेदारी है..!!
इनकी अस्मत
बचाएं.!
सुरक्षा का माहौल
बनाएं..!!
“संतोष” बेटियों से
ज्यादा बेटों पर
लगाम लगाएं
उन्हें माँ, बहिन, बेटियों
का सम्मान सिखाएं..!!
तब ही आगे
बढ़ेंगी बेटियाँ.!
तब ही आगे
पढ़ेंगी बेटियाँ..!
तब ही आगे
बचेंगी बेटियाँ..!!
© संतोष नेमा “संतोष”
आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.)
मोबा 9300101799