(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक के व्यंग्य” में हम श्री विवेक जी के चुनिन्दा व्यंग्य आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। अब आप प्रत्येक गुरुवार को श्री विवेक जी के चुनिन्दा व्यंग्यों को “विवेक के व्यंग्य “ शीर्षक के अंतर्गत पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी का व्यंग्य “कुपोषण की चिंता में बटर चिकिन”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक के व्यंग्य – # 8 ☆
♥ कुपोषण की चिंता में बटर चिकिन ♥
एयर कंडीशन्ड, सजे धजे मीटिंग हाल में अंडाकार भव्य टेबिलो के किनारे लगी आरामदेह रिवाल्विंग कुर्सियों पर तमाम जिलों से आये हुये अधिकारियो की बैठक चल रही थी। गहन चिंता का विषय था कि विगत माह जो आंकड़े कम्प्यूटर पर इकट्ठे हुये थे उनके अनुसार प्रदेश में कुपोषण बढ़ रहा था। बच्चो का औसत वजन अचानक कम हो गया था। चुनाव सिर पर हैं, और पड़ोसी प्रदेश जहां विपक्षी दल की सरकार है, के अनुपात में हमारे प्रदेश में बच्चोँ में कुपोषण का बढ़ना संवेदन शील मुद्दा था, कई दिनो तक आंकड़ो की फाइल इस टेबिल से उस टेबिल पर चक्कर काटती रही। जिम्मेदारी तय किये जाने का असफल प्रयत्न किया जाता रहा, अंततोगत्वा कुपोषण की दर में वृद्धि के आंकड़ों पर मंत्री मण्डल में विचार विमर्श की लम्बी प्रक्रिया के बाद माननीय मंत्री जी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी सार्वजनिक चिंता जाहिर कर दी। उन्होंने बच्चों के स्वास्थ्य से किसी को खिलवाड़ न करने देने की, एवं इसमें कोई भी कसर छोड़ने वाले अधिकारी को न बख्शने की खुली चेतावनी भी दे डाली।
आनन फानन में फैक्स भेजकर बाल विकास अधिकारियो, स्वास्थ्य अधिकारियों, जिला अधिकारियों को राजधानी बुलाया गया था। और परिणाम स्वरूप सरकार के मुख्य सचिव कुपोषण के आंकड़ो की चिंता में बैठक ले रहे थे। सरकार के जन संपर्क विभाग के अधिकारी मीटिग के नोट्स ले रहे थे, टीवी चैनल के पत्रकारो को, मीडिया को ससम्मान मीटिंग के कवरेज के लिये आमंत्रित किया गया था। एक बालिका की कलात्मक मुस्कराती तस्वीर एक प्रमुख अखबार के मुख पृष्ठ पर छपी थी जिसमें उसकी हड्डियां दिख रही थीं, वह तस्वीर भी एजेंडे में थी, और उस तस्वीर में विपक्ष की साजिश ढ़ूढ़ने का प्रयत्न हो रहा था। विचार मंथन चल रहा था।
एक युवा अधिकारी ने अपने पावर पाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से आंकड़े प्रस्तुत कर बताया कि उसके क्षेत्र में तो बच्चों का वजन कम होने की अपेक्षा लगातार बढ़ता ही जा रहा है, वरिष्ठ सचिव ने उसे डपट कर चुप कराते हुये कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है? उन्होंने चिंता करते हुये अपने सुदीर्घ अनुभव के आधार पर उस अधिकारी को बताया कि अचानक वजन बढ़ना या कम होना थायराइड की शिकायत के कारण होता है। उन्होंने सभी से अपने अपने क्षेत्र में बच्चो का थायराइड टेस्ट कर बच्चो के स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी। जिसे सभी जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी कीमती डायरियो में तुरंत नोट कर लिया। एक महोदय ने इस सुझाव पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुये कुछ सवाल खड़े करने चाहे तो, बड़े साहब के समर्थक एक आई ए एस अधिकारी ने तुरंत ही उन्हें लगभग घुड़कते हुये कुपोषण के आंकड़ो पर सरकार की चिंता से अवगत कराया और इफ एण्ड बट की अपेक्षा काम करके परिणाम लाने को कहा। उस नासमझ को समझ आ गया कि यस मैन बनना ही बेहतर है। बड़े साहब के निजि सहायक ने तुरंत थायराइड टेस्ट के लक्ष्य निर्धारित करने हेतु आवश्यक प्रोफार्मा बना कर सबको देने हेतु कार्यवाही प्रारंभ कर दी, स्वास्थ्य विभाग के अमले ने त्वरित रूप से मोबाइल पर ही थायराइड टेस्ट की बाजार में कीमत का पता लगाया, और प्राप्त कीमत को दोगुना कर टेस्ट किट की खरीदी हेतु बजट प्रावधान हेतु नोटशीट लिख कर सक्षम स्वीकृति के लिये तैयारी कर ली। कुपोषण प्रभावित क्षेत्रो का पता लगाने के लिये बाल विकास अधिकारियो को उनकी जीप का औसत मासिक माइलेज बढ़ाने का अवसर मिलता नजर आया, जिसका लाभ उठाने हेतु एक अधेड़ अधिकारी ने अपनी बात रखी, जिसे बिना ज्यादा महत्व दिये वरिष्ट सचिव जी ने अगला बिंदु विचारार्थ ले लिया।
इससे सभी को यह बात स्पष्ट हो गई कि बिना मीटिंग में बोले, बाद में मीटिंग का हवाला देकर बहुत कुछ सकारात्मक किया जाना ज्यादा उचित होता है। बहरहाल कुपोषण से बचने के लिये दाल दलिया, दूध आदि की आपूर्ति बढ़ाने हेतु लिये गये मंत्री जी के निर्णय से अवगत करा कर लम्बी चली मीटिंग देर शाम को समाप्त हो सकी। मीटिंग की समाप्ति पर सभी प्रतिभागियों को डिनर पर आमंत्रित किया गया। डिनर दाल दलिया के सप्लायर की ओर से सौजन्य स्वरूप आयोजित था, और डिनर में बटर चिकिन की डिश विशेष रूप से बनवाई गई थी, क्योकि मुख्य सचिव महोदय को बटर चिकिन खास पसंद है।
© श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव
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