श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
अध्याय 18
( श्रीगीताजी का माहात्म्य )
अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयोः ।
ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्टः स्यामिति मे मतिः ॥
जिसने भी होगा सुना ,यह धार्मिक संवाद
ज्ञान से उसने ही पूजा मुझे हृदय रख याद ।।70।।
भावार्थ : जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनों के संवाद रूप गीताशास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ (गीता अध्याय 4 श्लोक 33 का अर्थ देखना चाहिए।) से पूजित होऊँगा- ऐसा मेरा मत है॥70॥
And he who will study this sacred dialogue of ours, by him I shall have been worshipped by the sacrifice of wisdom; such is My conviction.
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
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