श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
अध्याय 18
( श्रीगीताजी का माहात्म्य )
संजय उवाच –
इत्यहं वासुदेवस्य पार्थस्य च महात्मनः ।
संवादमिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम्॥
संजय बोला-
वासुदेव औ” पार्थ का सुना मैने संवाद
जो था अद्भुत, ज्ञानमय, रोमांचक महाराज ।।74।।
भावार्थ : संजय बोले- इस प्रकार मैंने श्री वासुदेव के और महात्मा अर्जुन के इस अद्भुत रहस्ययुक्त, रोमांचकारक संवाद को सुना॥74॥
Thus have I heard this wonderful dialogue between Krishna and the high-souled Arjuna, which causes the hair to stand on end.
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
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