श्रीमद् भगवत गीता 

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

अध्याय 18

( श्रीगीताजी का माहात्म्य )

व्यासप्रसादाच्छ्रुतवानेतद्‍गुह्यमहं परम्‌।

योगं योगेश्वरात्कृष्णात्साक्षात्कथयतः स्वयम्‌॥

 

व्यास कृपा से सुन सका, स्वतः यह अद्भुत ज्ञान

योगेश्वर श्री कृष्ण के मुख निसृत श्रीमान ।।75।।

 

भावार्थ :  श्री व्यासजी की कृपा से दिव्य दृष्टि पाकर मैंने इस परम गोपनीय योग को अर्जुन के प्रति कहते हुए स्वयं योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण से प्रत्यक्ष सुना॥75॥

Through the Grace of Vyasa I have heard this supreme and most secret Yoga direct from Krishna, the Lord of Yoga Himself declaring it.

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’  

ए १, शिला कुंज, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

[email protected] मो ७०००३७५७९८

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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