श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
अध्याय 18
( श्रीगीताजी का माहात्म्य )
राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद्भुतम्।
केशवार्जुनयोः पुण्यं हृष्यामि च मुहुर्मुहुः ।।76।।
राजन करकर याद फिर, फिर सारा संवाद
केशव अर्जुन मध्य, मैं फिर फिर हर्षित गात ।।76।।
भावार्थ : हे राजन! भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के इस रहस्ययुक्त, कल्याणकारक और अद्भुत संवाद को पुनः-पुनः स्मरण करके मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ॥76॥
O King, remembering this wonderful and holy dialogue between Krishna and Arjuna, I rejoice again and again!
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
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