श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
अध्याय १७
(आहार, यज्ञ, तप और दान के पृथक-पृथक भेद)
(ॐ तत्सत्के प्रयोग की व्याख्या)
ॐ तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः।
ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा ।।23।।
‘‘ओंम तत्सत‘‘ कह ब्रह्म का करके जो गुणगान
पहले ब्राह्मण , वेद यज्ञ का हुआ निर्माण ।।23।।
भावार्थ : ॐ, तत्, सत्ऐसे यह तीन प्रकार का सच्चिदानन्दघन ब्रह्म का नाम कहा है, उसी से सृष्टि के आदिकाल में ब्राह्मण और वेद तथा यज्ञादि रचे गए ।।23।।
“Om Tat Sat”: this has been declared to be the triple designation of Brahman. By that were created formerly the Brahmanas, the Vedas and the sacrifices. ।।23।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
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