श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
द्वादश अध्याय
(भगवत्-प्राप्त पुरुषों के लक्षण)
तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येन केनचित्।
अनिकेतः स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नरः।।19।।
निंदा-स्तुति एक से, मिले जो उससे तुष्ट
स्थिर मति, अनिकेत वह, भक्त मुझे प्रिय इष्ट।।19।।
भावार्थ : जो निंदा-स्तुति को समान समझने वाला, मननशील और जिस किसी प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में सदा ही संतुष्ट है और रहने के स्थान में ममता और आसक्ति से रहित है- वह स्थिरबुद्धि भक्तिमान पुरुष मुझको प्रिय है।।19।।
He to whom censure and praise are equal, who is silent, content with anything, homeless, of a steady mind, and full of devotion-that man is dear to Me.।।19।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर