श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

त्रयोदश अध्याय

(ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय)

 

तत्क्षेत्रं यच्च यादृक्च यद्विकारि यतश्च यत्‌।

स च यो यत्प्रभावश्च तत्समासेन मे श्रृणु।।3।।

 

क्या यह क्षेत्र प्रकार क्या? होते कौन विकार

होते क्यों, क्षेत्रज्ञ कौन? क्या है प्रभाव प्रकार ।।3।।

 

भावार्थ :  वह क्षेत्र जो और जैसा है तथा जिन विकारों वाला है और जिस कारण से जो हुआ है तथा वह क्षेत्रज्ञ भी जो और जिस प्रभाववाला है- वह सब संक्षेप में मुझसे सुन।।3।।

 

What the Field is and of what nature, what its modifications are and whence it is, and also who He is and what His powers are-hear all that from Me in brief.।।3।।

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

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