श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

एकादश अध्याय

(भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और अर्जुन को युद्ध के लिए उत्साहित करना)

द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च कर्णं तथान्यानपि योधवीरान्‌ ।

मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठायुध्यस्व जेतासि रणे सपत्नान्‌ ।। 34 ।।

 

द्रोण , भीष्म , जयद्रथ तथा कर्ण , अन्य कई वीर

मैनें मारे पूर्व ही जीत युद्ध रख धीर ।। 34 ।।

 

भावार्थ :  द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह तथा जयद्रथ और कर्ण तथा और भी बहुत से मेरे द्वारा मारे हुए शूरवीर योद्धाओं को तू मार। भय मत कर। निःसंदेह तू युद्ध में वैरियों को जीतेगा। इसलिए युद्ध कर॥34॥

 

Drona, Bhishma, Jayadratha, Karna and all the other courageous warriors—these have already been slain by Me; do thou kill; be not distressed with fear; fight and thou shalt conquer thy enemies in battle.

 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

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